रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध 300 शब्दों में व 800 शब्दों में | Rani Lakshmi Bai Nibandh

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आप भी पढ़ना चाहते हो रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध तो आप इस लेख में पढ़ सकते हो। इस लेख में हमने रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध 300 शब्दों में, रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध 800 शब्दों में निबंध लिखा है जिसे आप इस लेख में पढ़ सकते हो। इस लेख के निबंध को पढ़ने के बाद आप रानी लक्ष्मीबाई के बारे में बहुत कुछ जानने लग जाओगे। Rani Lakshmi Bai Nibandh विद्यालय की परीक्षाओं में पूछा जाता है। 

रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध 300 शब्दों में व 800 शब्दों में


Set 1 (रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध 300 शब्दों में)


रानी लक्ष्मीबाई भारत की एक बहादुर वीरांगना थी। उनका जन्म 19 नवंबर 1828 को वाराणसी में हुआ। उनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे और माता का नाम भागीरथी था। बचपन में उनका नाम मणिकर्णिका था। उन्होंने कम उम्र में ही तलवारबाजी और घुड़सवारी जैसी युद्ध कला हासिल कर ली। 

सन 1842 में उनका विवाह झांसी के राजा गंगाधर राव से हुआ। राजा की मृत्यु के बाद अंग्रेजों ने झांसी पर कब्जा करने की कोशिश की। रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों को चुनौती दी रानी लक्ष्मीबाई वीरता की मिसाल थी। उन्हें झांसी की रानी भी कहा जाता है। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी बहादुरी और नेतृत्व ने अंग्रेजों को चौका दिया। दुर्भाग्यवश 18 जून 1828 को ग्वालियर के पास लड़ते हुए रानी लक्ष्मीबाई को वीरगति की प्राप्ति हुई। रानी लक्ष्मीबाई भारतीय नारी शक्ति का प्रतीक है। उनका बलिदान और साहस आज भी हर भारतीय के लिए प्रेरणा स्त्रोत है। 


Set 2(रानी लक्ष्मी बाई पर निबंध 800 शब्दों में | Rani Lakshmi Bai Nibandh)


प्रस्तावना -

भारत महान है और महान है इसकी संतान यहां राम और कृष्ण जैसे महान पुरुषों ने जन्म लिया है। यहां सीता और विदुला जैसी महान नारियों ने भी जन्म लिया है। यहां की नारिया भी पुरुषों से कम नहीं रही है। ऐसी नारियों में झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का प्रमुख स्थान है। 


जन्म और बाल्यकाल - 

लक्ष्मीबाई का जन्म सन् 1835 में सितारा के निकट बाई नामक गांव में हुआ था। उनके बचपन का नाम मनुबाई था। उनकी माता का नाम श्रीमती भागीरथी था। उनका निधन जब मनु चार वर्ष की थी तब हो गया। मनु के पिता का नाम मोरोपंत था। मनु ने बचपन में ही शस्त्र चलाना सिख लिया था। 


विवाह - 

मनु का विवाह 13 वर्ष की आयु में ही झांसी के राजा गंगाधर राव के साथ हो गया और तब से उनका नाम लक्ष्मी बाई हो गया। उनसे एक पुत्र हुआ जिसकी मृत्यु छोटी उम्र में ही हो गई। पुत्र की मृत्यु से गंगाधर राव को बहुत सदमा लगा इसी सदमे के करण उनकी भी मृत्यु हो गई। महारानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजी शासन से दामोदर राव को गोद लेने की इजाजत मांगी पर अंग्रेजों ने इजाजत नहीं दी झांसी को अंग्रेजी राज्य में मिला दिया गया।

स्वतंत्रता युद्ध में भाग 

अंग्रेजों से भारत को स्वतंत्र कराने का प्रयन्त चरम पर था। सन् 1857 ई में सेना ने भी अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। मंगल पांडे इसके नेता थे देश भक्त वीरों ने कानपुर, मेरठ, लखनऊ आदि नगरों पर अधिकार कर लिया और इसके बाद उन्होंने दिल्ली के लाल किले पर भी अपना अधिकार जमा लिया। 

लक्ष्मीबाई भी इस स्वतंत्रता की लड़ाई में कूद पड़ी उन्होंने अंग्रेजों को बुरी तरह हरा दिया। तात्या टोपे और नाना साहब ने भी इस युद्ध में लक्ष्मीबाई का साथ दिया। लक्ष्मीबाई ने इस युद्ध में अपना रन कौशल दिखाया लड़ते समय उनके दोनों हाथो में तलवार होती थी और दांतों में घोड़े की लगाम। उन्होंने दामोदर राव को पीठ पर बांध रखा था। 

ग्वालियर पर अधिकार - 

रानी ने अंग्रेजो का जमकर मुकाबला किया। अंग्रेजी सेना के उन्होंने दांत खट्टे कर दिए पर भेदिए के भेद देने के करण रानी को कालपी जाना पड़ा। रानी चाहती थी की ग्वालियर का राजा उनका साथ दें पर वह बिलासी और निकम्मा था उसने रानी का साथ नहीं दिया रानी ने ग्वालियर के किले पर अधिकार कर लिया। 


मृत्यु - 

अंग्रेजी सेना रानी का लगातार पीछा कर रही थी। वह सेना भी बहुत बड़ी थी रानी को अपना घोड़ा दौड़ाना पड़ा उनका घोड़ा नया था वह मार्ग में आया नाले को पार नहीं कर सका। अंग्रेजी सेना ने उन्हें घेर लिया। रानी ने मरते दम तक मुकाबला किया और इसी युद्ध में उन्होंने वीरगति पाई। 

समाधि - 

झांसी की रानी की समाधि बनी हुई है। लोग बड़ी श्रद्धा से उस समाधि पर अपने श्रद्धा सुमन चढ़ाते हैं जब तक सूर्य और चांद है भारतवासी उनसे प्रेरणा लेते रहेंगे हमारी तरफ से उन्हें शत शत नमन।  

Last Word:-
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