होली पर स्कूल के लिए सबसे अच्छा निबंध कैसे लिखें? चलो आपको बताते हैं इस लेख के माध्यम से। इस लेख को पढ़ने के बाद आप भी Holi Par Nibandh लिखना सीख जाओगे। बहुत सी बार हमे यह होली पर निबंध 300 शब्दों में या फिर 500 शब्दों में लिखना होता है। इस लेख को पढ़ने के बाद आप सभी तरह के होली निबंध लिख सकते हो।
holi par nibandh :- सबसे पहले रूपरेखा डालेंगे
रूपरेखा -
- प्रस्तावना
- मनाने का समय (होली को कब मनाया जाता है)
- मनाने का कारण (होली त्योहार को क्यों मनाया जाता है)
- होली का वर्णन (होली का त्योहार कैसे मनाया जाता है)
- होली का महत्व क्या है
- वर्तमान में होली का स्वरूप
- उपसंहार
प्रस्तावना -
हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है होली एक ऐसा रंग-बिरंगा त्यौहार है जिसे हिंदुओं के साथ अन्य धर्मों के लोग भी बड़ी धूमधाम के साथ हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं यानी हिंदू तो मनाते हैं साथ ही अन्य धर्मों के लोग भी होली को मनाते हैं होली के त्योहार के उपलक्ष में सभी लोग एक-दूसरे के घर जाकर रंग लगाते हैं और नाचते गाते हैं। होली के दिन पर लोग अपने घरों में अलग-अलग तरह के पकवानों को बनाते हैं जैसे मिठाई, पापड़, खीर आदि।
प्यार भरे रंगों से सजा यह होली का त्योहार भाईचारे का संदेश देता है इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे भूल जाते है और गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं बच्चे और युवा कई दिनों पहले से ही रंगों में डूब जाते और होली खेलते हैं।
मनाने का समय (होली को कब मनाया जाता है)
होली रंगों का बहुत सुंदर त्योहार है जो की हिन्दू धर्म के सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। होली का रंगों भरा त्योहार प्रत्येक साल मार्च के महीने में मनाया जाता है हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस त्योहार को फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है फाल्गुन मास की पूर्णिमा को यह त्योहार प्रमुख रूप से दो दिनों का होता है जिसमें पहले दिन होलिका दहन किया जाता है जिसमें लड़कियां गोबर के कंडे बनाती है और उनसे होलिका दहन किया जाता है। होली के दूसरे दिन को धुलंडी कहा जाता है जिसमें सभी लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं बधाई देते हैं गले मिलते हैं और विभिन्न प्रकार के पकवान को भी खाते हैं।
मनाने का कारण (होली त्योहार को क्यों मनाया जाता है)
हिरणाकश्यप असुरों का राजा था। जो अपने आप को भगवान मानता था लेकिन हिरणाकश्यप के पुत्र प्रह्लाद विष्णु भगवान के परम भक्त थे यह बात हिरणाकश्यप और असुरों को बिल्कुल भी रास नहीं आती थी इस बात को लेकर हिरणाकश्यप अपने पुत्र की भक्ति का विरोध करता था और उससे अप्रसन्न रहता था उसका विचार था कि जैसे उसको सभी भगवान मानते हैं उसी तरह से उसका प्रह्लाद भी उसको भगवान माने।
हिरणाकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को कई बार चेतावनी दी थी कि वह विष्णु की आराधना ना करें वरना उसे मृत्युदंड दिया जाएगा लेकिन प्रह्लाद ने अपने पिता की एक बात न सुनी और चेतावनी देने के बाद भी विष्णु की आराधना में लीन रहे। हिरणाकश्यप द्वारा बहुत बार तो अपने पुत्र को मारने की कोशिश की गई लेकिन वह इस कोशिश में असफल रहा तमाम कोशिशों के बाद हिरणाकश्यप ने अपनी बहन होलिका की मदद लेने की सोची होलिका को भगवान से वरदान प्राप्त था कि होलिका को कोई आग में नहीं जला सकता है इसीलिए हिरणाकश्यप ने चिता बनवाई होलिका प्रह्लाद को लेकर चिता पर बैठ जाती है और चिता को आग लगा दी जाती है प्रह्लाद चिता में बैठने के बाद भी विष्णु की आराधना में लीन रहते हैं और आग में होलिका भस्म हो जाती है उसका वरदान भी निष्फल हो जाता है क्योंकि होलिका ने अपने इस वरदान का दुरुपयोग किया था। वही दूसरी तरफ होलिका के साथ भक्त प्रह्लाद आग में बैठने के बाद भी अपनी विष्णु भगवान की भक्ति की शक्ति के कारण सुरक्षित रहते हैं। विष्णु भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली को जलाया जाता है और दूसरे दिन लोग खुशी में रंग लगाते है और खेलते हैं।
होली का वर्णन (होली का त्योहार कैसे मनाया जाता है)
होली का यह त्योहार होली की रात्रि से एक दिन पहले ही शुरू हो जाता है। सभी लोग उपलों, लकड़ियों का ढेर लगाते हैं फिर शुभ घड़ी में इस ढेर में यानी होलिका में आग लगा दी जाती है। इसकी आग में लोग नए अनाज की बाली भूनकर अपने आराध्य को अर्पित करते हैं।
होलिका दहन के अगले दिन रंग भरी होली होती है जिसे धुलैंडी कहा जाता है इस दिन सभी धर्म और जाति के छोटे-बड़े, बच्चे - बूढ़े, स्त्री-पुरुष, एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। गुलाल लगाते हैं रंग डालते हैं। सड़कों पर युवकों की टोली गाते बजाते निकलती है और एक दूसरे को मिठाइयां खिलाते हैं और अमीर-गरीब, ऊंच-नीच का भेदभाव भुलाकर सभी आनंद के साथ होली में नाचते गाते और झूमते नजर आते हैं बहुत से लोग ऐसे भी होते है जो भांग और ठंडाई भी पीते हैं। घर की महिलाएं बहुत सारे पकवान बनाती हैं जैसे - गुझिया, पापड़, पूरी, कचौड़ी, आदि यह सब पकवान बनाकर दोपहर से यह महिलाएं भी होली खेलना प्रारंभ करती हैं वहीं बच्चे सुबह उठने के साथ ही उत्साह के साथ होली खेलने के लिए घरों से बाहर मैदान में आ जाते हैं।
होली का महत्व
होली के पर्व से जुड़े होलिका दहन के दिन परिवार के सभी सदस्य को उबटन लगाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि उस दिन उबटन लगाने से व्यक्ति के सभी रोग दूर हो जाते हैं। वह गांव के सभी घरों से एक एक लकड़ी होलिका में जलाने के लिए दी जाती है। आग में लकड़ी जलने के साथ लोगों के सभी विकार भी जलकर नष्ट हो जाते हैं। होली के कोलाहल में शत्रु के भी गले से लग जाने पर सभी अपना बड़ा दिल करके आपसी दुश्मनी को भूल जाते हैं।
वर्तमान में होली का स्वरूप
वर्तमान में होली का रूप बदलता जा रहा है क्योंकि युवा लोग इसके महत्व को ना समझ कर नशे के त्योहार के रूप में देख रहे हैं। आजकल के युवा होली के दिन तरह-तरह का नशा करते हैं और बैठे रहते हैं कुछ लोगों को तो इसे गंभीर नुकसान भी हो जाते हैं इस दिन अब युवाओं में लड़ाई झगड़ा तो आम बात हो गई है। होली के त्योहार पर दुश्मनी भुलाने की जगह अब दुश्मनी बढ़ाने में लगे हैं। लोग रंग की जगह गोबर, बाहर नाली का पानी, पक्के रंगों का इस्तेमाल करते हैं जो कि होली की शोभा को धूमिल करते हैं यह सब चीजें होली के त्योहार की छवि को खराब कर रही हैं हमें लोगों को जागरूक करना होगा।
उपसंहार -
होली का यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। इस होली का त्योहार से सीख लेते हुए हमें अपनी बुराइयों को छोड़कर अच्छाइयों को ही अपनाना चाहिए। यह एक ऐसा त्योहार है जो हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन की सीमा से परे जाकर लोगों को भाईचारे का संदेश देता है। इस दिन सारे लोग अपने पूरे गिले-शिकवे भूलकर गले मिलते हैं रंग लगाते हैं। हमें इस बात को समझना होगा कि होली मिलकर प्रेम से रहने और जीवन के रंगों को अपने भीतर आत्मसात करने का त्योहार है वर्तमान में भटके हुए युवाओं को हमें इस त्योहार के महत्व और विशेषताओं के बारे में बताना चाहिए ताकि उनके बीच यह बदले और हमारे इस सौहार्दपूर्ण त्योहार की छवि बनी रहे। होली का त्योहार हमें हमेशा अच्छे मार्ग पर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
इसी के साथ यह Holi par Nibandh समाप्त होता है मुझे लगता की आपको इस लेख को होली पर निबंध पसंद आया होगा। आपको Holi par Nibandh पसंद आया है तो आप इस लेख को अपने दोस्तो के साथ भी शेयर कर सकते हो।