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दहेज प्रथा पर निबंध 300 शब्दों में (Dahej pratha par nibandh)
दहेज प्रथा परिचय:
दहेज भारत के विभिन्न हिस्सों में फैली एक पुरानी प्रथा है और आज भी प्रचलित यह शादी होने पर दो परिवारों के बीच पैसे या उपहार का आदान-प्रदान है। दुल्हन के माता पिता द्वारा दूल्हे या उसके परिवार को पैसा या महंगी चीज देना दहेज प्रथा कहलाता है। यह हमारे देश में प्रचलित सामाजिक कुप्रथा है जिसके कारण लड़की के माता पिता पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है।
दहेज प्रथम के करण:
समाज में दहेज प्रथा के बढ़ने का एक प्रमुख कारण पुरुष प्रधान समाज भी है पुरुष प्रधान समाजएक ऐसी स्थिति पैदा करता है जिसमें माता पिता अपनी बेटी की शादी सुनिश्चित करने के लिए दहेज देने के लिए मजबूर होते हैं। दोनों लिंगो के बीच सामाजिक और आर्थिक असमानता एक और प्रमुख कारक जो हमारे देश में दहेज प्रथा के प्रसार का कारण बनता है।
दहेज प्रथा के प्रभाव:
दहेज प्रथा का भारतीय आबादी पर दूरगामी प्रभाव पड़ा है और इसने समाज को बहुत नुकसान पहुंचाया है। इस ने दुल्हन के परिवारों के लिए एक बड़ी वित्तीय बोझ पैदा कर दिया है। जिसके परिणाम स्वरूप वे भरी कर्ज में डूब जाते है। यह प्रथा कभी-कभी परिवारों को उच्च ब्याज दरों पर ऋण लेने या यहां तक कि दहेज के लिए अपनी संपति बेचने को मजबूर करता है। इसके परिणाम स्वरूप कई निर्दोष लोगों की मौत भी हुई है क्योंकि लोग दूल्हे के परिवार की मांगों को पूरा करने के लिए इस प्रकार के कदम उठाते हैं।
दहेज प्रथा निष्कर्ष:
दहेज प्रथा एक सामाजिक बुराई है जो कई सदियों से भारतीय समाज को प्रभावित करती आ रही है। सरकार के प्रयासों की बावजूद यह प्रथा अभी भी भारत के अधिकांश हिस्सों में प्रचलित है इस प्रथा के पीछे सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ना और समाज में लैंगिक समानता का माहौल बनाना जरूरी है।